छत्तीसगढ़

नकली होलोग्राम केस : मेरठ कोर्ट ने अनवर ढेबर को 1 जुलाई तक के लिए भेजा जेल

Fake hologram case : छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाला केस से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में यूपी एसटीएफ ने शुक्रवार को कारोबारी अनवर ढेबर को मेरठ कोर्ट में पेश किया। कोर्ट में पेश कर यूपी पुलिस ने न्यायिक हिरासत मांगी। कोर्ट ने अनवर ढेबर को 1 जुलाई तक के लिए जेल भेज दिया। 1 जुलाई को फिर से मेरठ कोर्ट में अनवर ढेबर को पेश किया जाएगा। तब तक कारोबारी ढेबर मेरठ जेल में ही रहेंगे। शुक्रवार को एसटीएफ की टीम उन्हें मेरठ लेकर पहुंची है। गुरुवार को टीम लखनऊ पहुंच गई थी। उन्हें लखनऊ में एसटीएफ के दफ्तर में ही रखा गया था। इन सबमें हैरानी की बात ये है कि पूछताछ जरूरी बता रही यूपी पुलिस ने अनवर ढेबर की पुलिस रिमांड नहीं मांगी। सीधे जुडिशल रिमांड मांगकर जेल भेज दिया गया।

कारोबारी ढेबर को ईओडब्ल्यू ने 4 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। तब से वे जेल में ही थे। हाईकोर्ट से मेडिकल ग्राउंड में उन्हें जमानत मिली और 18 जून को वे बाहर आए, तभी जेल परिसर में ही यूपी एसटीएफ ने उन्हें हिरासत में ले लिया। तब यूपी पुलिस, छत्तीसगढ़ पुलिस का अनवर ढेबर के समर्थकों के साथ विवाद हुआ। इसके बाद पुलिस उन्हें सिविल लाइन थाने लाई और यहां यूपी पुलिस ने उन्हें रात को गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन यानी कि 19 जून को यूपी पुलिस ने कोर्ट में पेश कर 48 घंटे की ट्रांजिट रिमांड ली और मेरठ के लिए रवाना हो गई।

नकली होलोग्राम (Fake hologram case) मामले में पिछले साल ईडी ने यूपी के गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के कासना थाने में एफआईआर कराई थी। इसमें अनवर ढेबर के अलावा तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, विभाग के तात्कालीन विशेष सचिव और ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी, IAS निरंजनदास और अन्य लोगों के सहयोग से विधु गुप्ता की कंपनी को फर्जी तरीके से होलोग्राम देने की शर्त पर टेंडर दिलवाया। साथ ही डिस्टलरी के जरिए अवैध शराब को सरकारी दुकानों से ही बिकवाकर कैश कलेक्शन कराया। इनके अलावा PHSF (प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) के डायरेक्टर विधु गुप्ता के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 484, 120बी IPC और 7/13.7 (क) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था ।

दर्ज FIR के मुताबिक नोएडा स्थित प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को एक टेंडर मिला था। यह टेंडर छत्तीसगढ़ के एक्साइज डिपार्टमेंट ने होलोग्राम की आपूर्ति करने के लिए अवैध रूप से दिया था। कंपनी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र नहीं थी, लेकिन कंपनी के मालिकों की मिलीभगत से उसे पात्र बनाया गया। यह काम आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, तत्कालीन आबकारी कमिश्नर निरंजन दास, तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा ने निविदा शर्तों को संशोधित करके किया। इसके बाद PHSF नोएडा को अवैध रूप से टेंडर दिया गया। बदले में कंपनी के मालिक विधु गुप्ता से प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन लिया गया। (Fake hologram case)

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