विशेष : वन अधिकारों के क्रियान्वयन में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा छत्तीसगढ़, रही अतिरिक्त आमदनी
Chhattisgarh emerged as a leading state : वन अधिकारों के क्रियान्वयन में भी छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है और लाख उत्पादक कृषकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करने की योजना भी लागू की है, जिसके प्रभाव स्वरूप आज लाख उत्पादक किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ में स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और उद्यमिता विकास को लेकर अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं. पिछले पौने पांच सालों में ग्रामीण तबकों और सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक इन योजनाओं का भरपूर लाभ पहुंचा है.
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में रह रहे वनवासी और आदिवासियों के हित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है. (Chhattisgarh emerged as a leading state)
छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य है. पिछले पौने पांच सालों में छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी योजनाओं के परिणाम स्वरुप लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों और 06 लाख वनोपज संग्राहकों को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है. संग्राहकों के हित में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 2 हजार 500 रुपये से बढ़ाकर 4 हजार रुपये प्रति मानक बोरा किया गया है, वहीं संग्राहकों को विगत चार वर्षों के दौरान 2146.75 करोड़ रुपये तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है. संग्राहक परिवारों के हित में शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अब तक 4692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है. (Chhattisgarh emerged as a leading state)