पुरातत्व और अभिलेखागार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
संगोष्ठी से राज्य की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को मिलेगी एक नई दिशा: मंत्री भगत
Inauguration of National Seminar : संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने शुक्रवार को महंत घासीदास संग्रहालय के सभागार में पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के क्षेत्र में नवीनत शोध (मध्य भारत के विशेष संदर्भ में) विषय पर आयोजित तीन दिवस राष्ट्रीय संगोष्ठी शुभारंभ किया। मंत्री भगत ने शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि संगोष्ठी में दिल्ली, कोलकाता सहित पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के शोध अध्येता शामिल हुए है। मुझे आशा है कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय के क्षेत्र में हुए नवीन अध्ययन, खोज, अभिलेखीकरण और तकनीक प्रयोग को प्रकाश में लाने के उद्देश्य से संगोष्ठी में जो सार्थक विमर्श होगा। इससे क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को एक नई दिशा मिलेगी।
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संस्कृति मंत्री ने कहा कि मध्य भारत में बसे छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों का भारत में महत्वपूर्ण स्थान है। सुदूर अतीत में दक्षिण कोसल, दंडकारण्य, रतनपुर राज, महाकोसल आदि नामों से ज्ञात इस राज्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध रहा है। यहाँ के लोगों ने अपनी विशिष्ट संस्कृति और जीवन शैली विकसित की है। यहाँ पहले राज्य शासन द्वारा 58 स्मारक संरक्षित किए गए थे। इस वर्ष हमने सरगुजा जिले के महेशपुर स्थित 04 स्मारकों को भी संरक्षण में ले लिया है। अब राज्य शासन द्वारा संरक्षित स्मारकों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है। (Inauguration of National Seminar)
पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ के पूर्व अध्यक्ष आचार्य रमेन्द्र नाथ मिश्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नागपुर (महाराष्ट्र) के पूर्व निदेशक डॉ.जी.एम. ख्वाजा, राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के पुरातत्वविद् एवं संग्रहालय विज्ञानी डॉ. संजीव कुमार सिंह, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एस. के. चहल, राज्य अभिलेखागार कोलकाता के सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. आनंदा भट्टाचार्य सहित संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य व अन्य विद्ववजन विशेष तौर उपस्थित थे। (Inauguration of National Seminar)