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National Doctors Day: वनांचल में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदलती तस्वीर

रायपुर। कुछ बरस पहले बीजापुर में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए न तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर (Specialist Doctor) मिलते थे और न ही स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट जैसी बेहतर सुविधा यहां मौजूद थी। लेकिन यह अब बीते दिनों की बात हो गई है और जिला अस्पताल के मदर-चाइल्ड अस्पताल उत्सव में संचालित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट हज़ारों बच्चों के लिए संजीवनी बन गया है। आज विशेषज्ञ डॉक्टरों के हाथों नौनिहालों की किलकारी सुरक्षित हुई है। यूनिट में जरूरी उपकरण और सभी सुविधाएं मौजूद है, जो इस सुदूर आदिवासी अंचल के लिए वरदान साबित हो रहा है।

स्टोरी-1
बीजापुर जिले के मनकेली के रहने वाले फागु दंपत्ति ने यदि कुछ साल पहले माता-पिता बनने का निर्णय लिया होता तो शायद पायोडर्मा का सामान्य संक्रमण भी उनके घर की खुशियां छीन लेता। दरअसल लाची और फागु कुशराम के घर 31 मई को जन्में नवजात को डॉक्टरों की कोशिश से नया जीवन मिला और लाची और फागु की उम्मीद तोड़ती खुशियां वापस लौटी। लाची बताती है कि बच्चे के जन्म पर हम दोनों बहुत खुश थे। लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चे के पीठ पर गंभीर संक्रमण हो गया और उसके पीठ पर धब्बे निकल आए। घबराकर बच्चे को लेकर हम जिला चिकित्सालय पहुंचे और वहां शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में नवजात का इलाज शुरू हुआ।

नवजात शिशु के संक्रमण को देखते हुए उसे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में आइसोलेशन में रखा गया ताकि संक्रमण न फैले। डॉक्टर मंगेश मस्के और डॉ. नेहा की देखरेख में कुछ दिनों तक समुचित उपचार से नवजात स्वस्थ होकर अपने घर लौटा। चेहरे पर डर व चिंता का भाव लेकर अस्पताल आने वाले फागु और लाची अब खुशी से घर लौट गए है। अपनी खुशी जाहिर करते हुए दोनों ने जिला प्रशासन और चिकित्सकों को धन्यवाद भी दिया। (Specialist Doctor)

क्या है पायोडर्मा
एसएनसीयू में पदस्थ डॉ. मंगेश मस्के ने बताया कि पायोडर्मा त्वचा संबंधी संक्रमण है जिसमें पस फार्मेशन (मवाद बनना) होता है। इसमें संक्रमण के फैलने की संभावना भी अधिक होती है। साफ-सफाई न रखना संक्रमण का प्रमुख कारण है और छोटे बच्चों की देखभाल को लेकर लोगों में जागरूकता की भी कमी है।

स्टोरी-2

जिला चिकित्सालय बीजापुर के मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल उत्सव में मोती कोरसा ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। जन्म के बाद नवजात शिशु न ही रोया और ना ही सांस ले रहा था। नवजात शिशु के मस्तिष्क में ऑक्सीजन न पहुंचने से उसे झटके भी आ रहे थे। स्थिति को देखते हुए नवजात को स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में शिफ्ट किया गया, जहां एसएनसीयू के प्रभारी डॉ. मंगेश और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नेहा द्वारा नवजात का उपचार शुरू किया किया गया। नवजात को वेंटिलेटर पर रखने के 3 दिन बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और शिशु स्वयं से सांस लेने लगा। अगले 12 दिनों तक शिशु को एसएनसीयू में ही रखा गया और पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर 18 जून को उसे छुट्टी दे दी गई। एसएनसीयू में उपलब्ध वेंटिलेटर की सुविधा और विशेषज्ञ डॉक्टरों के कारण ही नवजात शिशु की सांस लौटी।

स्टोरी-3

जिला चिकित्सालय बीजापुर के मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल उत्सव में 26 अप्रैल 2023 को एक नवजात शिशु का जन्म हुआ। प्री मेच्योर होने के कारण जन्म के समय बच्चे का वजन मात्र 1 किलोग्राम था और फेफड़े कमजोर होने के कारण उसे सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी। स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में डॉ. मंगेश मस्के ने शिशु को इन्क्यूबेट कर वेंटिलेटर पर रखा। लगभग 10 दिनों तक शिशु का इलाज चला, जिससे उसका वजन बढ़ कर 1.53 किलोग्राम हो गया। स्वस्थ होने पर शिशु को 6 मई को डिस्चार्ज भी कर दिया गया।

स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट
विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू), जहां जन्म से लेकर 28 दिन तक के बीमार नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल की जाती है। डॉ. मस्के ने बताया कि जिला अस्पताल के एसएनसीयू में वार्मर, सी पैप मशीन, वेंटिलेटर, फोटोथेरेपी मशीन उपलब्ध है। इन सुविधाओं से हम बेहतर इलाज दे पाने में सक्षम हुए है। इसके साथ ही डॉ. नेहा के रूप में एक नया शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल को मिला है। (Specialist Doctor)

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