छत्तीसगढ़

विशेष लेख : ज्ञान, बुद्धि और मार्गदर्शन का पर्व गुरू पूर्णिमा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर सभी स्कूलों में गुरूओं का होगा सम्मान

  •   डॉ. दानेश्वरी संभाकर, सहायक संचालक

Guru Purnima 2024 : भारतीय संस्कृति में गुरू को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बराबर दर्जा दिया गया है। गुरू ही सच्चा मार्गदर्शक होता है जिसके मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं। गुरू गूढ़ ज्ञान को सरल शब्दों में समझाने का कार्य करते हैं। कहा जाता है कि माता-पिता बच्चे को संस्कार देते हैं, लेकिन गुरू बच्चों व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ उनमें ज्ञान भरते हैं, इसलिए उनका दर्जा समाज में सबसे ऊपर है।

छत्तीसगढ़ में गुरू-शिष्य की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सभी स्कूलों में चालू शैक्षणिक सत्र में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर इस वर्ष गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाने का निर्णय लिया गया है। गुरू पूर्णिमा पर्व के पीछे शासन की मंशा है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों और उनके शिक्षकों के बीच मधुर संबंध बने। गुरूओं के प्रति बच्चों में सम्मान की भावना जगे इसके साथ ही गुरू-शिष्य के बीच बेहतर संबंध बनाने के पीछे यह भी धारणा है कि गुरू भी बच्चों को अपनत्व भाव से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में तत्पर रहे।

    छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी स्कूलों में 22 जुलाई से गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाने की निर्देश दिए गए हैं। इस आयोजन में गुरूजनों और स्कूली बच्चों अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना और गुरू वंदना से होगी। स्कूली बच्चों के द्वारा जीवन में गुरूओं के महत्व पर व्याख्यान भी दिए जाएंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा भी अपने उत्कृष्ट विद्यार्थियों के बारे में यादगार पलों का स्मरण किया जाएगा। इसी प्रकार स्कूली बच्चे भी अपने गुरूओं के साथ हुए अनेक प्रसंगों की चर्चा करेंगे। कार्यक्रम में निबंध लेखन और कविता पाठ का भी आयोजन होगा।

    छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद पहली बार स्कूलों में गुरू पर्व  (Guru Purnima 2024)मनाने का आयोजन हो रहा है। इस नवाचारी पहल से शिक्षकों में जहां सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना आएगी, वहीं बच्चों में भी गुरूओं के सम्मान के साथ-साथ बेहतर चरित्र निर्माण और पूरे समर्पण भाव से अध्ययन की ओर अग्रसर होंगे।

    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर हो रहे इस आयोजन से छत्तीसगढ़ के स्कूलों में फिर से एक बार शैक्षणिक वातावरण में उत्साह जगेगा। गुरू और शिष्य के बीच प्रगाढ़ संबंधों की परंपरा आगे बढ़ेगी। गुरू और शिष्य के बीच पवित्र रिश्ता बनेगा। इससे निश्चित रूप से राज्य में बच्चों के लिए उत्कृष्ट शैक्षणिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी। (Guru Purnima 2024)

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