CG Rajyotsava : युवा गुमराह ना हो, अपने जीवन के शानदार वर्षों को बर्बाद ना करें- उपराष्ट्रपति
आज रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि उन्हें विश्वास है के भारत की विकास यात्रा के महायज्ञ में छत्तीसगढ़ जैसे राज्य का बड़ा योगदान रहेगा। क्योंकि यह राज्य प्राकृतिक सम्पदा का धनी है और उद्यम एवं साहस से सिंचित युवा संपदा से संपन्न है। यह भूमि जिसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, आज राष्ट्र के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
लुभावने माध्यमों के उपयोग से आस्था परिवर्तन के घिनौना और घृणित पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “भाई और बहनों इस मौके पर आपको मैं चिंता और मंथन के लिए भी आग्रह करूंगा। आपके समक्ष मैं अपनी एक चिंता बताऊंगा। निस्वार्थ सेवा निस्वार्थ होनी चाहिए। निस्वार्थ सेवा में कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए और यदि निस्वार्थ सेवा में सेवा के नाम पर, इसकी आड़ में, लुभावने माध्यमों से सिर्फ दिलों तक पहुंचने का प्रयत्न नहीं होता, हमारे दिलों में श्रद्धा है उसको परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है। आपको चिंतन करना चाहिए, चिंता करनी चाहिए मंथन करना चाहिए।
हमारी संस्कृति हजारों साल पुरानी है। एक तरीके से उस पर प्रहार है। आस्था परिवर्तन का घिनौना और घृणित कृत्य संपन्न हो रहा है। यह एक मायने में संस्थागत तरीके से किया जा रहा है। धनबल के आधार पर हो रहा है। एक उद्देश्य के लिए हो रहा है। भोलेपन का फायदा उठाया जा रहा है। भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। ऐसी ताकतों को भारत की आत्मा को जीवंत रखने के लिए शुद्ध रखने के लिए अविलंब कुंठित करना आज की ज्वलंत आवश्यकता है। आपसे आग्रह करूंगा सजग रहें, कहीं बहुत देर ना हो जाए ।
ऐसे दुष्प्रयत्नो में विशेष कर आदिवासी भाई बहनों को निशाना बनाया जाता है। समाज को ऐसी मानसिकता के खिलाफ सजग रहने की जरूरत है। हमारा भारत सदियों से एक समन्वयकारी संस्कृति हैं सबको समेटने वाली संस्कृति है जिसमें हर एक वर्ग के लिए विशेष स्थान है। इस विशेषता को बरकरार रखना है, उपराष्ट्रपति ने ज़ोर दिया।
राज्यों की गति और प्रगति को राष्ट्र की प्रगति और विकास से जोड़ते हुए श्री धनखड़ ज़ोर दिया कि, “राज्यों की गति, और देश की तरक्की इनमें बड़ा भारी जुड़ाव है, बड़ा भारी लगाव है। राज्य की उन्नति का मतलब देश की उन्नति। दोनों एक दूसरे के पूरक है। एक बात पर मैं जरूर ध्यान दूंगा और आपको भी आग्रह करूंगा, राज्य का हित राष्ट्र दृष्टिकोण से देखना पड़ेगा| राज्य का हित राष्ट्र हित से अलग नहीं हो सकता, राज्य और राष्ट्र एक है।”
मौजूदा छत्तीसगढ़ प्रशासन के सुशासन, कानून व्यवस्था और नई औद्योगिक निति की सराहना करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि आज का छत्तीसगढ़ सुशासन और सशक्त कानून व्यवस्था का नया अध्याय लिख रहा है। प्रशासनिक पारदर्शिता और कुशल नीति-निर्माण से छत्तीसगढ़ ने विकास के नए मानदंड स्थापित किए हैं। समाज के हर वर्ग को सशक्त करने का निरंतर प्रयास हो रहा है। हाल ही में जारी की गयी राज्य की नई औद्योगिक नीति को समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम बताते हुए का कि यह नई औद्योगिक नीति के प्रावधान राज्य के हर वर्ग के विकास के बारे में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
राज्य के युवाओं के लिए चिंता का एक और कारण है जिस पर सरकार बहुत ध्यान दे रही है मुख्यमंत्री जी और उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री रमन सिंह जी साधुवाद के पात्र हैं की निरंतरता से इन्होंने माओवाद पर अंकुश लगाने का प्रयास किया है। इतिहास हमें याद दिलाता है समाज के खिलाफ हथियार उठाने का परिणाम कभी अच्छा नहीं निकला है। हमें इस बात पर सतर्क रहना होगा कि हमारे युवा गुमराह ना हो अपने जीवन के शानदार वर्षों को बर्बाद ना करें|
वर्ष 2000 में राज्य को मिली विशिष्ट पहचान में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ सन् 2000 में इस राज्य को एक विशिष्ट पहचान मिली, इस अवसर पर जैसा पहले कहा गया है पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को याद नहीं करेंगे तो बड़ी चूक हो जाएगी। अटल जी की याद तो सदा आती है, देश हित और राष्ट्रहित पर अटल जी सदैव अटल रहते थे और मानवीय भावनाओं पर बेहद मुलायम। उन्होंने 3 नए राज्य छत्तीसगढ़, उत्तराखंड एवं झारखण्ड इस देश को भेंट दी, राजनीति में कैसे सर्जरी की किसी को दर्द नहीं हुआ, किसी को पीड़ा नहीं हुई सहज तरीके से ही यह हो गया।”
“मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री यहाँ मुख्य अतिथि के रूप में जब उद्घाटन करते हैं तो हमें याद आता है कि अटल जी ने जो कारीगरी की उसमें कोई दर्द नहीं था भाईपन था भाईचारा था”, उपराष्ट्रपति ने कहा।
आज राष्ट्र द्वारा माँ भारती के वीर सपूतों को दिए जा रहे सम्मान को रेखांकित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, काल के चक्र के साथ जब हम आगे बढ़ते हैं तब हमें हमारे गौरवपूर्ण और गरिमाई विरासत को नहीं भूलना चाहिए।यह मौका है, यह अवसर है, हमारे जननायकों और महापुरुषों को याद करना उनका चिरंतन करना, उनका स्मरण करना। आज जब हम अमृत काल मना रहे हैं, मुझे इस बात का गर्व है और आपको भी है जिन लोगों ने आजादी में योगदान दिया उनको हम नमन कर रहे हैं, उनको पहचान रहे हैं, उन्होंने देश के लिए किया हम सब नतमस्तक हो रहे हैं और बदलाव देखिए कितना सार्थक है कितना गहरा है। नेताजी सुभाष बोस को कर्तव्य मार्ग पर प्रतिमा के साथ सम्मानित किया जा रहा है।
याद कीजिए पहले वहां किसकी स्टैचू थी भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल के एकता और अखंडता के अथाह प्रयत्नो को ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ में नवाजा गया है। इसी धरती ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक बड़े योद्धा भगवान बिरसा मुंडा जी के रूप में एक ऐसे ही विरल महापुरुष की भेट दी थी और इनके साथ अनेक थे। वीर नारायण सिंह जैसे कई धरतीपुत्र दिए जिन्होंने कठिन परिस्थिति में कठिन हालात में स्वतंत्रता की ज्योति को जिंदा रखा। हमें इन सभी महापुरुषों का और उनके सिद्धांतों का अविरल स्मरण रहना चाहिए आज भारत अपने महान सपूतों के सम्मान में पराक्रम दिवस, नेताजी को याद करते हुए और जनजातीय दिवस बिरसा मुंडा जी को याद करते हुए हर वर्ष मना रहा है।
संविधान के आदर्शों को सुरक्षित रखने और आपातकाल के भयावह काल खंड का उल्लेख करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि “हम संविधान दिवस के नजदीक है। आज के नवयुवकों को खास तौर से कहना चाहूंगा, याद दिलाना चाहूंगा संविधान की क्या भूमिका है, संविधान हमारी कितनी मजबूत आधारशिला है। इस पर हमारा वर्तमान और भविष्य टिका हुआ है। संविधान दिवस गत दशक से हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है। एक ही कारण है देश के हर नागरिक को खास कर नव युवकों को संविधान की अहमियत और ताकत का एहसास करना चाहिए। साथ ही हमें स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करने को प्रेरित होना चाहिए।”
“इस संविधान के आदर्शों को सुरक्षित रखना हमारी पहली मौलिक जिम्मेदारी है क्योंकि हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षण, सृजन संविधान की ताकत की वजह से हो रहा है। हमारे संविधान से खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नहीं और ऐसे हर कुप्रयास को हमें कुंठित करना चाहिए। एक समय था, दुखदाई समय था किसी ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए देश में आपातकाल लगा दी। संवैधानिक रास्ते से भटक गए। 21 महीने तक देश में मौलिक अधिकारों पर विराम लगा दिया। न्यायालय की शरण का रास्ता भी अवरोधित कर दिया। हालत इतने भयावह थे 1957-77 में की प्रजांत्रिक मूल्य कहीं नज़र तक नहीं आ रहे थे। हमारे छात्रों सहित लाखों को जेल में डाल दिया गया, पत्रकारिता की आज़ादी नहीं रही थी, पूरे राजनीतिक वर्ग को निर्वासित कर दिया गया। वह संवैधानिक अंधकार का समय था। उस काले काल खंड के भयावह दृश्य की जानकारी आज की पीढ़ी को अवश्य होनी चाहिए। ताकि हमें वह दृश्य कभी देखना ना पड़े।हम नहीं चाहते कि यह गलती इस देश में दोहराई जाए। इसी को प्रधानमंत्री ने दृष्टिगत रखकर 26 जून को संवैधानिक हत्या दिवस घोषित किया है।”
महिला आरक्षण विधेयक के महत्व और संविधान की ताकत को दर्शाते हुए उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया, “यह संविधान की ताकत है कि 2023 में हमने 33% सीटें आरक्षित की महिलाओं के लिए विधानसभा में और लोकसभा में। और यह सिर्फ 33% महिलाओं के लिए नहीं है, इससे ज्यादा भी हो सकती है और जनजाति और अनुसूचित जाति के वर्ग में भी 1/3 प्रतिनिधित्व महिलाओ का होगा। मैं छत्तीसगढ़ की जनता को साधुवाद का पात्र मानता हूं, गत चुनाव में एक बड़ा बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला, छत्तीसगढ़ की विधानसभा में 19 महिलाएं जनप्रतिनिधित्व कर रही है और सबसे बड़े संतोष की बात है की इसमें जो अनुसूचित जाति की जो महिलाओं की संख्या है वह पर्याप्त है। यह राज्य पूरे राष्ट्र के लिए मिसाल है यह यहां की बदलती तस्वीर का द्योतक है प्रगतिशील राजनीति का प्रतीक है, पर आपको ध्यान रखना चाहिए जब यह आरक्षण लागू होगा कानून बन चुका है प्रक्रिया जारी है जो संख्या आज के दिन 19 है 90 में, यह काम से कम 30 हो जाएगी यह उपलब्धि है भारत के संविधान की ताकत की और केंद्र में वर्तमान नेतृत्व की सार्थकता की, ये अमूल परिवर्तन है हमारी माताएँ और बहनें पॉलिसी मेकिंग में जुड़ेगी, सही तरीके से सत्ता का उपयोग करेंगी, समाज में बड़ा परिवर्तन आएगा। आपको याद दिला दूं यह प्रयास तीन दशक से हो रहा था और इसको सार्थक किया वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने।