वनवासी अंचलों के वन धन केन्द्रों से आ रहा बड़ा बदलाव : प्रधानमंत्री
रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सहयोगियों द्वारा कैबिनेट में गहन मंथन के पश्चात जनकल्याण के लिए योजनाएं तैयार की जाती हैं। दिल्ली में बनी यह योजनाएं कुशलता से जमीनी स्तर पर किस तरह से क्रियान्वित की जा रही हैं, इसकी समीक्षा प्रधानमंत्री मोदी सीधे आम जनता से संवाद के माध्यम से नियमित रूप से करते हैं। इसके लिए विकसित भारत संकल्प यात्रा भी आयोजित की जा रही है। उत्तर बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं का किस तरह असर हुआ है, इसकी जानकारी लेने आज विकसित भारत संकल्प यात्रा के वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के भानबेड़ा की हितग्राही भूमिका भूआर्य से ग्राम मनकेसरी में हुए कार्यक्रम में वर्चुअल संवाद किया।
भूमिका ने बताया कि उसने बीएससी प्राइवेट किया है और यहां अपने गांव के 29 समूहों में से एक समूह से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री ने भूमिका से पूछा कि उसे केंद्र सरकार की किन योजनाओं का लाभ मिला है। भूमिका ने बताया कि उसे वनधन योजना, उज्ज्वला योजना, नल जल, शौचालय, राशन कार्ड, किसान सम्मान निधि, दो साल का बोनस आदि सभी योजनाओं का लाभ मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको तो सभी योजनाओं से मिला लाभ याद है। भूमिका ने कहा कि आपसे जो मिला है उसे कैसे भूल सकते हैं सर, प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी से बात करके हमें काम करने की और हिम्मत आ जाती है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि आपको इतनी सारी योजनाओं का पता कैसे चला और इन्हें प्राप्त करने में किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई। भूमिका ने बताया कि इन्हें प्राप्त करने में कोई अड़चन नहीं आई, मम्मी पापा से मुझे यह जानकारी मिली। प्रधानमंत्री ने पूछा कि आपका छोटा भाई क्या करता है। भूमिका ने बताया कि वो कालेज में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपके माता-पिता को प्रणाम करता हूँ जिन्होंने आप दोनों बच्चों को पढ़ाया। मैं जानता हूँ कि बस्तर की जिंदगी कैसी है। आपके माता-पिता प्रणाम करने योग्य हैं, जिन्होंने बेटी को पढ़ाया और उसे पढ़ने भेजा। मैं यहां बैठी सभी माताओं को कहता हूँ कि अपनी बेटियों को पढ़ाएं।
गौरतलब है कि विकसित भारत संकल्प यात्रा में जुड़ रहे लाखों लोग केंद्र सरकार की योजनाओं से उठाये लाभ की कहानी ‘‘मेरी कहानी मेरी जुबानी‘‘ के माध्यम से सुना रहे हैं। दिल्ली से बनी योजनाएं बस्तर तक पूरी तरह से पहुँच रही हैं और भानबेड़ा जैसे छोटे गाँव की बेटियाँ भी इनसे सशक्त हो रही हैं, जिनके सशक्तिकरण को आज हुए वर्चुअल संवाद के माध्यम से देश भर ने सुना।
सबसे ज्यादा लाभ वनधन से उठाया- प्रधानमंत्री ने पूछा कि कौन सी योजना ऐसी है, जिससे आपने सबसे अधिक लाभ उठाया। भूमिका ने कहा कि वनधन योजना का। हमने महुआ लड्डू बनाना आरंभ किया, साथ ही आंवला का अचार बनाने लगे। प्रधानमंत्री ने पूछा कि इसे किस तरह से बेचते हैं। भूमिका ने बताया कि संजीवनी के माध्यम से इसकी बिक्री होती है। हम 700 रुपए प्रति किलो लड्डू बेचते हैं, यह स्वास्थ्यवर्धक होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग तो महुआ का दूसरा उपयोग करते हैं। भूमिका ने तपाक से मुस्कुराते हुए कहा कि इसलिए ही तो हम इसके लड्डू बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भूमिका को शाबासी दी, उन्होंने कहा कि अब महुआ से आजीविका भी आ रही है और स्वास्थ्य के लाभ भी हासिल हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप जैसे जागरूक लोगों की वजह से हमारा आदिवासी समाज बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे विशेष रूप से यह अच्छा लगा कि बिना किसी अड़चन के आप लोगों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। विशेष रूप से यह अच्छा लगा कि वनधन केंद्र आप जैसे जागरूक नागरिकों की वजह से बहुत अच्छे चल रहे हैं।
बिरसा मुंडा भगवान की जन्मस्थली से शुरू की पीएम जनमन योजना- प्रधानमंत्री ने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजाति को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ पूरी तरह से हो सके, इसके लिए हमने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली से ‘‘पीएम जनमन योजना‘‘ आरंभ की है। संभवतः 15 जनवरी को मैं ऐसे समूह के साथ मिलूंगा भी। भगवान बिरसा मुंडा के आशीर्वाद से मुझे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा का मौका मिला है।