राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक वैभव से हुईं रू-ब-रू
मुख्यमंत्री ने तालागांव की रुद्रशिव प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की
रायपुर । राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने अपने दो दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के पहले दिन गुरुवार को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय का अवलोकन किया। वे इस दौरान छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक वैभव से रू-ब-रू हुईं। राष्ट्रपति ने इस बहुआयामी संग्रहालय में छत्तीसगढ़ और अन्य क्षेत्रों से प्राप्त प्राचीन मूर्तियों, अभिलेखों और ताम्रपत्रों के बारे में विस्तार से जाना। वे यहां की प्राचीन मूर्त धरोहर, राम वन गमन पथ तथा शिवनाथ नदी के दोनों ओर बसे गढ़ों से भी रू-ब-रू हुईं। संग्रहालय के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपति को तालागांव से प्राप्त रुद्रशिव प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की।
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने भी राष्ट्रपति के साथ संग्रहालय का अवलोकन किया। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 मार्च 1953 को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय भवन का उद्घाटन किया था। यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में अपनी प्राचीनता और पुरातनता के लिए प्रसिद्ध है।
राष्ट्रपति ने संग्रहालय के भ्रमण के दौरान रतनपुर से मिले 11वीं और 12वीं शताब्दी की भगवान विष्णु की प्रतिमा तथा जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के बारे में भी जाना। इनमें जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ, 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ तथा 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रतिमाएं शामिल हैं। उन्होंने ग्राम किरारी के तालाब से प्राप्त दो हजार वर्ष पुराना और अनूठा काष्ठ स्तंभ लेख तथा सिरपुर से खुदाई में मिला एक हजार वर्ष पुराना मिट्टी का अन्न संग्राहक पात्र भी देखा। राष्ट्रपति के संग्रहालय भ्रमण के दौरान संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. और संचालक विवेक आचार्य भी मौजूद थे।
गौरवशाली अतीत के साक्ष्यों को संभालने के लिए संग्रहालय की पूरी टीम को दी बधाई
महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय के भ्रमण के बाद राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने संग्रहालय की टीम की सराहना की। उन्होंने विजिटर्स बुक में लिखा कि यहां प्रदर्शित कलाकृतियां और प्राचीन अवशेष भारतीय इतिहास के ज्ञान में वृद्धि करते हैं। रुद्रशिव की मूर्ति, सिरपुर की धातु मूर्तियां तथा लकड़ी के खंभे पर दो हजार साल पहले लिखा गया लेख इस संग्रहालय में सावधानीपूर्वक रखे गए हैं। उन्होंने गौरवशाली अतीत के साक्ष्यों को संभालने के लिए संग्रहालय की पूरी टीम को बधाई दी।