बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया इंजीनियरों, बिल्डरों, डेवलपर्स और रियलटर्स का रीढ़ हैं
रायपुर : 1941 में स्थापित, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) निर्माण कंपनियों ठेकेदारों, इंजीनियरों, बिल्डरों, डेवलपर्स और रियलटर्स आदि का शीर्ष प्रतिनिधि निकाय है जो बुनियादी ढांचे के विकास की रीढ़ हैं। 1,50,000 से अधिक व्यवसायों के साथ अपनी 220 शाखाओं के माध्यम से पूरे भारत में फैले बीएआई का मूल उद्देश्य निर्माण क्षेत्र में सर्वागीण सुधार लाना है, साथ ही परिचालन के साथ-साथ नीतिगत स्तर की समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रयास करना है। निर्माण उद्योग द्वारा इसमें नीति निर्माताओं और अधिकारियों से उस स्तर का ध्यान प्राप्त करने का प्रयास करना शामिल है जो निर्माण उद्योग को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था में इसके जबरदस्त योगदान और महत्व को देखते हुए मिलना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में, बीएआई अंबिकापुर बिलासपुर दुर्ग-भिलाई, जगदलपुर, काकेर, रायपुर और राजनादगांव में केंद्रों के साथ बहुत सक्रिय है।
इसमें हमारा उद्देश्य :-
ठेकेदारों को गुणवत्ता पूर्ण कार्य करने के लिये प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता निर्माण। राज्य के बेरोजगार शिक्षित एवं अशिक्षित युवाओं को प्रशिक्षण देकर ठेकेदारो के कार्यस्थल पर रोजगार उपलब्ध कराना।
अन्य राज्यों National Academy of construction (NAC) का गठन किया गया है इनके लिये छत्तीसगढ़ में भी प्रारंभ किया जाए इसके लिये प्रयास करना। 4. ठेकेदारो द्वारा किये जा रहे निर्माण स्थलों पर स्वास्थ संबधित कैम्प लगाना एवं कार्यरत श्रमिको के बच्चों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराना। ये हमारी संस्था का बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया का मूल उद्देश्य है।
निर्माण व्यवसायों के बुनियाद प्रशिक्षण हेतु 20000 वर्ग फिट भूमि नया रायपुर में कम दर पर उपलब्ध करके स्थापित करना। जिससे बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया: उपरोक्त कार्य को मूर्तरूप दे सके।
लोक निर्माण विभाग छ.ग. व अन्य निर्माण विभाग के स्थापना समय से ही निर्माण कार्य में उपयोग गिट्टी, मुरूम, रेती आदि के खनिज रॉयल्टी का होने वाले सामग्री मूल्य सरकारी दर पर काटकर खनिज विभाग में जमा करते हुए ठेकेदारो को अंतिम देयक का भुगतान दिया जाता था। लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग के स्थापना दिवस से ही अनुबंध में उपरोक्त प्रावधान है जो आज भी है। परन्तु अचानक कुछ वर्षों से रॉयल्टी विलयरेन्स खनिज विभाग से लाने पर अंतिम देयक दिया जायेगा कहते हुए करोड़ो का भुगतान रोक दिया गया है।
निर्माण कार्य में संलग्न ठेकेदार स्थानिय खनन पट्टा प्राप्त क्रेशरों से खनिज सामग्री] गिट्टी, मुरूम, रेती को पूरा मूल्य देकर खरीदा जाता है। उत्खननकर्ता की जवाबदारी है कि खनिज विभाग को रॉयल्टी का मूल्य प्रदाय करें। निर्माण करता ऐजेन्सी पट्टा प्राप्त व्यापारी से खनिज खरीद कर सिर्फ परिवहन करता है व निर्माण कार्य में प्रयोग कि गई सामग्री का सरकारी दर पर निर्माण विभाग कटौती करता आ रहा है। वर्तमान में ठेकेदारों के पास रॉयल्टी न होने की स्थिति में 5 गुना काटने का प्रावधान खनिज विभाग ने किया है।
बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया माँग करती है कि अनुबंध में निहित प्रावधान के तहत चल देयक से सरकारी दर पर रॉयल्टी राशि काटकर खनिज विभाग में जमा करते हुए ठेकेदारों का भुगतान करे जिससे छत्तीसगढ़ के विकास में सलग्न ठेकेदार जो तन मन धन से लगे है इनका भुगतान हो सके व निर्माण कार्य गुणवत्ता से निर्वाध चले व समय सीमा में पूर्ण हो सके।
छत्तीसगढ़ शासन के निर्माण कार्यों में GST की समस्या विकराल रूप ले चुकी है GST के संबंध में बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया आपका ध्यान 2 बिन्दुओ पर आकर्षित करना चाहती। है:-
पूर्व में निर्माण में GST 12% लागू किया गया था। जिस समय Vat हटाकर GST लागू किया गया उस समय चल रहे कार्यों में GST 12% व Vat 5% की फर्क की राशि का भुगतान ठेकेदारों को किया गया है पर पिछले वर्ष GST 12% के स्लेब को बदलकर 18% कर दिया गया। परन्तु छत्तीसगढ़ के विभाग जैसे लोक निर्माण विभाग अंतर की 6% की राशि का भुगतान नहीं कर रहा है इस संबंध में कुछ ठेकेदार माननीय उच्चन्यायालय की शरण में गये जिसमे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 12% से 18% GST के अंतर की राशि की गणना कर भुगतान करने आदेश पारित किया गया पर कोई भी विभाग इसमे रूची नही ले रहा है। जबकि केन्द्र के सभी विभागो में एवं छत्तीसगढ़ के अन्य विभागो में अंतर की राशि का भुगतान किया जा रहा है। केन्द्रीय निर्माण विभाग व PMGSY MMGSY ने निविदा में GST की गणना अलग से की जाती है। परन्तु लोक निर्माण विभाग व अन्य विभागों में नही कि जाती है। अंतर की 6% राशि का भुगतान सुनिश्चित करते हुए निविदाओं में GST की राशि की गणना अलग से करने का प्रावधान करने हेतु ।
कंवलजीत सिंह ओबेरॉय ( स्टेट चेयरमैन छत्तीसगढ़ )