कुएं ने बदल दी डोकाल के जोहन राम की दशा और दिशा, मनरेगा से आमदनी को बढ़ाया
Increased income from MNREGA : गांव के लिए कुएं का होना कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व में लोग जब भी कभी कोई नयी बस्ती या गांव बसाते थे तो सबसे पहले आस-पास जमीन में मीठे जल का स्त्रोत का पता लगाते थे। लोग पशुओं और निस्तारी के लिए तालाब का भी निर्माण करते थे। आज भी ग्रामीणों के लिए कुंआ और तालाब दिनचर्या का अटूट हिस्सा होता है। ग्रामीण इलाकों में कुंआ पानी का मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे। कुएं का पानी पीने के साथ-साथ सिंचाई का मुख्य स्त्रोत था। आधुनिक युग में कुंए का महत्व केवल विवाह एवं जन्म संस्कार के समय पूजन तक सिमट कर रह गया है। आज भी कुंआ को स्वच्छ जल का प्रतीक माना जाता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत ग्राम पंचायतों में भूजल संरक्षण एवं आजीविका साधन को ध्यान में रख कुंआ का निर्माण कर हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं।
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लाभान्वित हितग्राही श्री जोहन ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सिंचाई कुंआ निर्माण कार्य संभव नहीं हो पा रहा था। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर जिला कार्यालय से राशि- 2 लाख 61 हजार रूपये की स्वीकृति मिलते ही कुआं निर्माण कार्य किया गया। कुंआ में पर्याप्त पानी मिलने से सब्जी भाजी उत्पादन के अतिरिक्त खेत में धान फसल की सिंचाई का आधार बनाया। इसके पहले फसल की सिंचाई बरसात के पानी पर आश्रित था। लेकिन कुंआ निर्माण होने से सूखे फसलों को पानी देकर अमृत का काम कर रही है। वहीं सब्जी उत्पादन से पहली बार में 02 हजार रूपये का मुनाफा हुआ जो आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरक बना। Increased income from MNREGA
जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रोक्तिमा यादव ने बताया कि ग्राम पंचायत डोकाल मेें हितग्राहियों के मांग पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 15 हितग्राही मूलक कुंआ निर्माण के लिए राशि-39.06 लाख रूपये एवं 2021-22 में 26 कुंआ निर्माण के लिए राशि-66.82 लाख रूपये की स्वीकृति दिया गया था। इस योजना के तहत हितग्राही सब्जी उत्पादन एवं धान की फसल से दोगुना आमदनी अर्जित कर रहे हैं, वहीं परिवार का भरण पोषण भी कर रहे हैं। कुंआ निर्माण से हितग्राही पारंपरिक खेती के अलावा नगदी फसल उपजाने के प्रति आकर्षिक हो रहे हैं। आमदनी का स्त्रोत बढ़ने से हितग्राही व्यवसाय के प्रति चुनौती को भी मात दे रहे हैं।