छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल में 4 पुराने मंत्री, 5 पहली बार निर्वाचित विधायकों को मिली जगह
रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल में 9 विधायकों ने शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ ली। इनमें 5 विधायक जो पहली बार निर्वाचित हुए उन्हें भी शामिल किया गया। बाकी 4 पहले भी मंत्री रह चुके हैं। जिनमें बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, दयालदास बघेल और केदार कश्यप शामिल है। जबकि पहली बार मंत्री बनने वालों में लक्ष्मी राजवाड़े, टंकराम वर्मा, ओपी चौधरी, श्याम बिहारी जायसवाल और लखनलाल देवांगन शामिल हैं। अरूण साव और विजय शर्मा ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में कुल 13 मंत्री ही बन सकते हैं। अभी भी एक मंत्री पद का स्थान रिक्त है। 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अभी 6 ओबीसी, 3 आदिवासी, 2 सामान्य और 1 एससी हैं। शपथ लेने वालों में पांच विधायक अरूण साव, विजय शर्मा, लक्ष्मी राजवाड़े टंकराम वर्मा ओपी चौधरी जबकि श्यामबिहारी जायसवाल और लखनलाल देवांगन पहले विधायक रह चुके हैं।
अरुण साव
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। बड़ा ओबीसी चेहरा। पहली बार सांसद बने, पहली बार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने और अब पहली बार विधायक बनने के साथ ही डिप्टी सीएम की प्रोफाइल मिली। आरएसएस से जुड़े रहे। संघ की भी पसंद माने जाते हैं।
विजय शर्मा को हिन्दुत्व के चेहरे के रूप में पेश किया गया। कवर्धा से मोहम्मद अकबर को हराया, जो दिग्गज मंत्री थे। वहां सांप्रदायिक तनाव हुए। उस वक्त भाजपा के जिला अध्यक्ष थे। जेल गए। बाद में पार्टी में हिन्दुत्व का चेहरा बनकर सामने आए। डिप्टी सीएम बनाए गए।
लक्ष्मी राजवाड़े
ओबीसी चेहरा। सरगुजा संभाग में चार सामान्य सीट है। अंबिकापुर, प्रेमनगर, भटगांव, बैकुंठपुर और मनेंद्रगढ़ सामान्य सीट है। प्रेमनगर से भुलनसिंह मरावी को लड़ाया, जो आदिवासी हैं। 14 सीटें सरगुजा में जीते। पांच महिलाएं यहां से जीतकर आईं। लक्ष्मी के अलावा सांसद गोमती साय, रेणुका सिंह, शकुंतला पोर्ते और रायमुनि भगत चुनकर आईं। लो प्रोफाइल और संगठन की पसंद के कारण।
ओपी चौधरी
ओपी चौधरी भी पहली बार विधायक चुने गए। 2018 में आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दिया और चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इस बार रायगढ़ से जीते। अमित शाह की पसंद। उन्होंने कहा था- इन्हें जिताइए बड़ा आदमी बनाएंगे। मंत्री बनाया।
टंकराम वर्मा
विधायक से मंत्री टंकराम वर्मा को मंत्रालय में कामकाज का लंबा अनुभव है। वे दयालदास बघेल के पीए भी थे। साथ ही कुर्मी समाज में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। वह भागवत कथा और रामायण पाठ करवाने के लिए अपने क्षेत्र में जाने जाते हैं। सांसद और मंत्री के पीए रहने के बाद वर्मा खुद मंत्री बने हैं।